Shiva Shakti Kritam Ganadhisha Stotram |श्रीगणाधीशस्तोत्रं शिवशक्तिकृतम्
श्रीगणाधीशस्तोत्रं शिवशक्तिकृतम् :
श्रीगणाधीशस्तोत्रं शिवशक्तिकृतम्
श्रीगणेशाय नमः । श्रीशक्तिशिवावूचतुः ।
नमस्ते गणनाथाय गणानां पतये नमः । भक्तिप्रियाय देवेश भक्तेभ्यः सुखदायक ॥ १॥
स्वानन्दवासिने तुभ्यं सिद्धिबुद्धिवराय च । नाभिशेषाय देवाय ढुण्ढिराजाय ते नमः ॥ २॥
वरदाभयहस्ताय नमः परशुधारिणे । नमस्ते सृणिहस्ताय नाभिशेषाय ते नमः ॥ ३॥
अनामयाय सर्वाय सर्वपूज्याय ते नमः । सगुणाय नमस्तुभ्यं ब्रह्मणे निर्गुणाय च ॥ ४॥
ब्रह्मभ्यो ब्रह्मदात्रे च गजानन नमोऽस्तु ते । आदिपूज्याय ज्येष्ठाय ज्येष्ठराजाय ते नमः ॥ ५॥
मात्रे पित्रे च सर्वेषां हेरम्बाय नमो नमः । अनादये च विघ्नेश विघ्नकर्त्रे नमो नमः ॥ ६॥
विघ्नहर्त्रे स्वभक्तानां लम्बोदर नमोऽस्तु ते । त्वदीयभक्तियोगेन योगीशाः शान्तिमागताः ॥ ७॥
किं स्तुवो योगरूपं तं प्रणमावश्च विघ्नपम् । तेन तुष्टो भव स्वामिन्नित्युकत्वा तं प्रणेमतुः ॥ ८॥
तावुत्थाप्य गणाधीश उवाच तौ महेश्वरौ ।
गणेश उवाच ।
भवत्कृतमिदं स्तोत्रं मम भक्तिविवर्धनम् ॥ ९॥
भविष्यति च सौख्यस्य पठते शुण्वते प्रदम् । भुक्तिमुक्तिप्रदं चैव पुत्रपौत्रादिकं तथा ॥ १०॥
धनधान्यादिकं सर्वं लभते तेन निश्चितम् ।
इति शिवशक्तिकृतं श्रीगणाधीशस्तोत्रं समाप्तम् ॥
Meaning in English:
O Ganesa! Who is the Lord of demi-gods, and Who bestows bliss to devotees! Salutations for You, Who is the leader of Gana, Who is the Lord of various Gana, and Who likes devotion.
Salutations for You, Who is rejoicing in His own bliss, Who is the most skilled siddha and most wise buddhi among all, Who has sesanaaga (serpent) tied at the belly, Who is noble, and Who is Dhundhiraaja.
Salutations for You, Who has the vara and abhaya mudraa in hands, Who holds an axe, Who holds a sickle, and Who has sesanaaga (serpent) tied at the belly.
Salutations for You, Who is free from disease bhavaroga, Who is of all sorts, Who is worthy of worship by every one, Who is with form and quality (as Ganesa, and Who is formless and qualityless as Brahman.
O Ganesa, Who has the head of an elephant! My salutations are for You, and Who gives the position of [[Brahmaa]] to the creators of the world.
Salutations for You, Who is worshipped at the beginning, Who is the elder son of Paarvatii, and Who is the most eminent.
Salutations again and again for everyone’s [[Heramba]], Who is the Mother and the Father. O Ganesa, Who rules over obstacles! Salutations again and again for You, Who is without a beginning, and Who (may) put obstacles.
O Lambodara! May salutations be for You, Who destroys obstacles of His own devotees. By Your devotion, many Yogii has reached the state of inner peace and bliss.
How to eulogize about You, Who is the essence of Yoga! We (both) salute You, Who absolves obstacles. O Lord (owner)! May You become satisfied with this eulogy. Having said this, they saluted Him Ganesa.
Having put His hands on them, Ganaadhiisa spoke thus to those great I”svara “Siva and “Sakti. “Sriiganesa spoke:
This eulogy, Which is created by You, will increase the devotion of me. Also, it will bestow friendship of mine, if it is studied and listened regularly. By the reciter (or listener), everything including luxuries and salvation, sons and grandsons, and food or grains will be obtained; it is sure.
Meaning in Hindi:
श्री शक्ति और शिव बोलें!
भक्तो को सुख देने वाले देवेस्वर आप भक्ति प्रिय हैं तथा गणओ के अधिपति हैं आप गण नाथ को नमस्कार है |
आप स्वनंद लोक के वासी और सिद्धि बुद्धि के प्राणवल्लभ हैं | आपकी नाभि मे भूषण रूप से शेषनाग वीराजते हैं | आप धुंडिराज देव को नमस्कार है |
आपके हाथों में वरद और अभय की मुद्राए हैं | आप परशु धारण करते हैं | आपके हाथ में अंकुश सोभा पाता है |और नाभि में नागराज आपको नमस्कार है |
आप ही सगुण और निर्गुण ब्रह्म हैं, आपको नमस्कार है | आप ब्राह्मणों को ब्रह्म वेद एवं ब्रह्म तत्व का ज्ञान देते हैं |
गजानन आपको नमस्कार है| आप प्रथम पूज्य कार्तिकेय जी के बड़े भाई, ज्येष्ठ और ज्येष्ठराज हैं | सबके माता और पिता आप हेरम्ब की बरम बार नमस्कार है |
विघ्णेश्वर आप अनादी और विघ्नो के भी जनक हैं, आपको बार बार नमस्कार है | लंबोदर आप अपने भक्तों का विघ्न हरने वाले हैं |आपको बार बार नमस्कार है|
योग्विशवर गण आपके भक्ति योग से शांति को प्राप्त हुए हैं| योग्स्वरूप आपकी हम दोनो क्या स्तुति करें | आप विघ्नाराज़ को हम दोनो प्रणाम करते हैं | स्वामीन इस प्रणाम मात्र से आप सर्च संतुष्ट हों |
ऐसा कह कर शिवा शिव ने गणेश जी को प्रणाम किया| तब उन दोनों को उठा कर गणाधीश ने कहा आप दोनो द्वारा किया गया यह स्तवन मेरी भक्ति को बढ़ने वाला है | जो इसका पाठ और श्रवण करेगा उसके लिए ये सौख्यप्रद होगा | इसके अतिरिक्त यह भोग और मोक्ष तथा पुत्र और पौत्र आदि को भी देने वाला होगा | मनुष्य इस स्तोत्र द्वारा धन धान्य आदि सभी वास्तुवें निश्चित रूप से प्राप्त कर लेता है |
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